भूतों से ज्यादातर लोग रात को ही क्यों डरते है ? Perceptual Disturbance in night time.

इंसानो की जिंदगी बहुत से उतार चढ़ाव से गुजरती है, कभी ख़ुशी तो कभी गम , इसी तरह कभी किसी को डराया जाता है तो कभी खुद को किसी से डरना पड़ता है।
अगर हम एक लिस्ट बनाये कि इंसान किस किस से डरता है तो उस लिस्ट में कहीं न कहीं भूतों का भी नंबर आ ही जाता है।
कोई भी इंसान भले वो बचपन में ही क्यों न डरा हो लेकिन डरा जरूर होगा।
लेकिन खास बात ये है कि भूत भी होस्टल के छात्रों की तरह रात को सैर सपाटा करते है, और मन करे तो किसी को भी डरा देते है।
तो आइए जानते है कि आखिर क्या वजह है कि लोग दिन में इनकी जरा भी परवाह नहीं करते लेकिन रात होते ही इनसे भय खाने लग जाते है ??

मुख्यतया ये खेल होता है हमारे : Thoughts+Perception का यानि हमारे आस पास के environment से हमारे senses के द्वारा हमारे ब्रेन को जो भी सिग्नल मिलता है उसे हमारा दिमाग किस रूप में लेता है, इससे ये (ब्रेन) क्या मतलब निकालता है।
हमारे frontal ब्रेन यानि आगे के हिस्से के ब्रेन को हम ज्यादातर सोचने के काम में लेते है। भूतों का खेल हमारी सोच से शुरू होता है।
भले ये सोच बाहर से आयी हो (किसी ने idea दिया हो) या कोई ऐसी घटना जो brain को समझ नहीं आयी & इसने इसे भूत मान के समझा।
बस यही से भूतों का शासन स्थापित हो गया।

यहाँ इंसान के पास thought पहुँच चुकी होती है लेकिन इसका use तब होता है जब हमारे Perception में थोड़ी सी भी abnormility हो चुकी होती है। भले वो Environment के कारणों से हुई हो।
जैसे 1.आप सुनसान रस्ते पर अंधेरे में जा रहे हो। आपका brain लगातार आपको आसपास के environment के बारे में सूचनाएं दे रहा होता है। तभी रस्ते में आगे एक छोटा सा पेड़ आने लगता है। आपका ब्रेन समझ नहीं पा रहा ये क्या है। तभी अचानक frontal cortex ने कहा, कही ये भूत तो नहीं, बस फिट हो गया, हवा की वजह से वो थोड़ा हिल भी रहा था। पसीनें आना शुरू हो गये, automatic thoughts आने लगी कि आज तक जिसके बारे में सुना था वो आज सामने आ गया।
अब यहाँ उसके पास 2 रस्ते है एक हिम्मत करे आगे जाये & देखे कि भूत दिखता कैसे है।
दूसरा धीरे से किनारा कर अपना रास्ता बदल लो।
ज्यादातर लोग 2nd चुनते है। जैसे तैसे जल्दी जल्दी घर पहुँचते है और फिर next day से प्रचार शुरू। क्योंकि जो मेमोरी हमारे emotions जैसे fear के साथ associate होती है वो बहुत strong होती है, उसे बंदा भूल नहीं पाता।

हा यही कहानी तब शुरू हो जाती है जब बंदा अँधेरे में रस्सी को सांप समझ लेता है।

तो इनकी वजह है Perception इस case में ब्रेन normal है लेकिन उसे पर्याप्त मात्रा में सिग्नल नहीं मिल रहे यानि Absence of Sensory Stimulation ; हमारे Sensory Organs जैसे कान, आँख पर्याप्त मात्रा में information नहीं दे पाते तो एक normal brain भी Abnormal Perception कर सकता है।
{जैसे किसी को बहुत दिनों तक अँधेरे कमरे में रख दो उसे Visual Hallucinations होने लग जाते है, ये क्या होते है आप ये वीडियो देख सकते हो )

& Normal brain से ये मतलब कि ऐसी बहुत सी बीमारियाँ होती है जिसमें Brain Normal नहीं होता ऐसे केस में मरीज को ऐसे लोग, जानवर या आकृति दिखने लग जाती है जो आसपास नहीं है।
ऐसी आवाजे आने लग जाती है जिनका दूर – दूर तक कोई स्त्रोत नहीं है।
अगर किसी को तेज बुखार हुआ हो तो भी ऐसा हो सकता है।
{आप ये सब न्यूरोलॉजी या साइकाइट्री वार्ड में जाकर मरीजो से बात कर इनके बारे में जान सकते हो}
इन्हें ही HALLUCINATION कहते है, याद रखना।।

लेकिन सोचने वाली बात है कि इस दुनिया में हजारों लाखो सालों से इंसान+जानवर पैदा हुए & मरे, उनका कर्मकांड किसी ने करवाया या नहीं करवाया कुछ पता नहीं,
अगर उनमें से 1% के भी भूत, अगर हमारे लिए समाज सेवा के कार्यो (जैसे कोई रिश्वत ले तो तुरंत उसके भूत चिपक जाये, कोई किसी पर जुल्म करे तो भूत उन्हें बचाने आये).
आदि करने लग जाते तो ये दुनिया बहुत रंगीन होती।।

खैर आपके लिए इतना कहना चाहेंगे कि भूतकाल में जो हो गया सिर्फ वही भूत है। ये जिंदगी हमारी खुद की है, इसे अच्छे से जीना आपकी अपनी जिम्मेदारी है। हर एक समस्या का समाधान है, आज नहीं तो कल।।

धन्यवाद।।
स्वस्थ रहो, मस्त रहो।।

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