“इनसिक्योरिटी” का अहसास दायरे में सीमित कर दे

जिंदगी में हर इंसान को कभी ना कभी इनसिक्योरिटी सताती है। किसी को लग सकता है कि वह उतना स्मार्ट , इंटेलिजेंट या लाइफ में सक्सेस नहीं है। ऐसा इन्सान जब आस-पास के लोगों से अपनी कम्परेजन करता है , तो ‘इनसिक्योरिटी’ और बढ़ जाती हैं ।

(1) रोज कोई एक ऐसा काम करें , जो रोमांच से भर दे :-

  • जरूरी नहीं कि यह कोई एडवेंचर हो। किसी सफल इन्सान से उसके एक्सपीरियंस जानें। आप जितने नए और रोमांचक एक्सपीरियंस से गुजरेगें , उतनी आपकी ‘इनसिक्योरिटी’ कम होगी।
  • दूसरों के बारे में जल्दी रिजल्ट न निकालें। दूसरों को नीची निगाह से देखने से लग सकता है आप उनसे बेहतर है , लेकिन जितनी बार दूसरों के किसी गुण की आलोचना करते हैं , उतना आप अपने गुणों को कम करते हैं। इससे इनसिक्योरिटी बढ़ती हैं।
  • कई बार हमें अपनी कोई बात पसंद नहीं आती। अपनी आवाज , ऊंचाई या त्वचा का रंग । खुद को जैसे है वैसे एक्सेप्ट न करने से भी ‘इनसिक्योरिटी’ बढ़ती है । यदि कोई बात ऐसी है जो आप सुधार सके तो सुधार लें अन्यथा उसे एक्सेप्ट कर लें ।

(2) किसी चीज में महारत हासिल करें :-

  • डांस , राइटिंग , पेंटिंग या कोई लैंग्वेज सीखना ऐसी दर्जनों आर्ट्स और हुनर है , जिनमें से किसी को चुनकर उसमें उतनी महारत हासिल करें , जो गौरव की भावना जगाएं। बेस्ट होने की कोशिश न करें क्योंकि यह फिर ‘इनसिक्योरिटी’ का एहसास दे सकती है ।
  • अनिशि्चतता से नफरत भी ‘इनसिक्योरिटी’ देती है। किसी परीक्षा , नयी जगह , इन्टरव्यू के बारे में अनिश्चितता ‘इनसिक्योरिटी’ दे सकती है। वहां जाने से पहले ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करें ।

(3) ‘इनसिक्योरिटी’ का एहसास देने वालों से दूर रहें :-

  • यह कॉमन सेंस लगता है , लेकिन इसमें भी थोड़े प्रयास लगते हैं। शेड्यूल बदलना पड़ सकता है।
  • अपने ‘इनसिक्योरिटी’ को एक्सेप्ट और दूसरों को भी बताएं वरना इससे उबर नहीं पाएंगे। दूसरों को बताना भी एक्सेप्ट करना का तरीका है। दूसरों से कोई मूल्यवान सुझाव भी मिल सकता है।
  • लोगों की हर बात मत मानें । जैसे कोई कहे कि नाम बदल लो , कपड़े की स्टाइल बदलो , हेयर स्टाइल में बदलाव लाओ । फिर दूसरों की राय पर चलने की आदत बन जाती है , जो ‘इनसिक्योरिटी’ देती हैं।
  • ‘इनसिक्योरिटी’ मूल रूप से विनम्रता का संकेत भी होती है , जो दिव्य गुण है । ‘इनसिक्योरिटी’ के जरिए हम यह एक्सेप्ट करते हैं कि सब कुछ हमारी मर्जी से नहीं होता बहुत कुछ अचानक घटता है । इसे समझें ।

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One Comment

  1. Wooaw sir ji……ek cofidence se bhar dene wali baatain…….thnkuuu very much

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